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इतिहास

रुद्रप्रयाग जिला 16 सितंबर 1 99 7 को स्थापित किया गया था। यह अलकनन्दा और मंदाकिनी  दो नदियों के संगम पर स्थित है। रुद्रप्रयाग, पंच प्रयागों में से एक है  और अलकनंदा नदी के पांच संगम में से एक हैं। रुद्रप्रयाग को  प्राकृतिक सौन्दर्य उपहार स्वरुप प्राप्त हुआ है जो जलवायु क्षेत्र की ऊंचाई पर निर्भर करता है। जिले को तीन निकटवर्ती जिलों के निम्नलिखित क्षेत्रों से बनाया गया था।

1- अगस्तमुनी और उखीमठ  ब्लॉक को पूर्ण रूप से एवं  पोखरी एवं कर्णप्रयाग ब्लॉक का  कुछ हिस्सा चमोली जिले से लिया गया है।

2 – जखोली और किर्तीनगर ब्लॉक का हिस्सा टिहरी।

3 –  खिरसू ब्लॉक का हिस्सा पौडी जिले से लिया गया है।

अक्षांश: 30° उत्तर

देशांतर : 78° पूर्व

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्ञात श्री केदारनाथ मंदिर उत्तर में स्थित है , पूर्व में मदमहेश्वर, दक्षिणी पूर्व में  नगरासू और ठीक दक्षिण में श्रीनगर हैं। केदारनाथ से उत्पन्न पवित्र मंदाकिनी  नदी जिले की मुख्य नदी है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि-

केदारनाथ मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो पांडवों द्वारा निर्मित किया गया और आदि शंकराचार्य द्वारा पुनर्जीवित किया गया है।  यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, शिव के सबसे पवित्र हिंदू तीर्थस्थानों में से एक है। माना जाता है कि  पांडवों ने केदारनाथ में तपस्या करके शिव को प्रसन्न किया था।  केदारनाथ मंदिर, मंदाकिनी नदी के निकट गढ़वाल हिमालय पर्वत पर है। विषम  मौसम  एवं  बर्फबारी के कारण , मंदिर केवल अप्रैल के अंत (अक्षय त्रित्रिया) से नवम्बर (कार्तिक पूर्णिमा – शरद ऋतु पूर्णिमा) तक खुला रहता है। सर्दियों के दौरान, केदारनाथ मंदिर से विग्रहों (देवताओं) को उखीमठ में लाया जाता है और इस दौरान यंहा पर पूजा की जाती है